उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशांबी में बेलगाम अफसरशाही का मामला सामने आया है। मुद्दा पुलिस महकमे में पोस्टिंग से जुड़ा है। जिसमे जमकर नियम कायदे की धज्जियां उड़ाई गई है। जिले के महत्वपूर्ण पदों व थानों में जातिगत आधार पर सवर्ण इंस्पेक्टरों को कमान सौंपी गई है। इसके पीछे विभागीय सूत्र एक सर्किल के अफसर की कूटनीति बता रहे है।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महकमे में जातिगत आधार पर नियुक्तियों का दशकों से चला आ रहा सिलसिला अब योगी सरकार में भी ख़त्म नहीं हो रहा है। सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली बीजेपी सरकार में भी सभी महत्वपूर्ण थानों में ज्यादा से ज्यादा सवर्णों की पोस्टिंग की गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक के बाद अपनी प्राथमिकताओं में पुलिस महकमे में जाति विशेष के वर्चस्व को ख़त्म कर के कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक करने की बात जरूर कही थी। लेकिन कौशांबी जिले के सभी थानों में सिर्फ सवर्णों का बोलबाला है।
यूपी में विधानसभा चुनाव 2017 के पूर्व भाजपा के सभी नेताओं ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान पुलिस महकमे में ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर अखिलेश सरकार पर निशाना साधा था। भाजपा के नेताओं ने यूपी के थानों में यादववाद होने का सीधा आरोप भी अखिलेश सरकार पर लगाया था। लेकिन प्रदेश में बीजेपी सरकार आने के बाद भी पुलिस महकमे के अंदर तक समा चुके जातिगत राजनीति करने वालो अफसरों का सफाया नहीं किया जा सका है। ऐसे में सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली बीजेपी सरकार का यह दावा भी झूठा साबित हो रहा है।
पुलिस महकमे में जातिगत आधार पर की गई पोस्टिंग को लेकर सबसे बुरे हालात प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशांबी में है। जहाँ ज्यादातर महत्वपूर्ण थानों की कमान सवर्णों के हाथ में सौंपी गई है। सारे नियम कायदे ताक पर रख दिया गया है। थानों में जातिवाद का बोलबाला कुछ किस कदर बढा है कि कुल 14 थानों में 10 थानों की कमान सवर्णों को सौंपी गई है। बाकी बचे 4 थानों में दो अनुसूचित जाति और दो पिछडीजाति के इंस्पेक्टरों की पोस्टिंग की गई है। इसके अलावा एसओजी प्रभारी, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, एसपी स्टेनो, एसपी रीडर, एसपी पीआरओ के पदों पर भी सवर्णों का कब्जा है।
विभागीय सूत्रों की माने तो कौशांबी की आबो हवा में एक सर्किल ऑफिसर ने ये जातिवाद का जहर घोला है। जिसके एक इसारे पर जिले के जिम्मेदार अफसर भी कटपुतली की तरह नाचते है। ऐसे में महकमे के अंदर तक समा चुके जातिगत राजनीति करने वाले अफसरों का यदि समय रहते सफाया नहीं किया गया तो तय मानिए कि खाकी कहीं की नहीं रहेगी तथा उसकी मजामत होने का सिलसिला न केवल इसी प्रकार जारी रहेगा बल्कि साल-दर-साल बढ़ता ही जाएगा।