जमातियों के साथ विदेशी नागरिकों का पकड़ा जाना

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लखनऊ कैंट सेना के सबसे महत्वपूर्ण कमान ‘मध्य कमान’का मुख्यालय है । रक्षामंत्री का यह संसदीय क्षेत्र भी है ।कैंट क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियाँ लम्बे अरसे से चल रही है । करोना संकट के दौर में तीन बार में दर्जनों जमातियों के साथ विदेशी नागरिकों का पकड़ा जाना इस बात की पुष्टि करता है कि लखनऊ सेना मुख्यालय की सुरक्षा में सेंध लगाने वाला जासूसी रैकेट भी यहाँ पनप रहा है ।
कैंट के मुख्य प्रवेश द्वार सोमनाथ द्वार से मेडिकल कोर के आफिस की लगभग ढाई कि.मी. की दूरी में कस्तूरबा मार्ग पर चार मज़ारें हैं। और इन मज़ारों पर कोई न कोई मुल्ला – मौलवी झाड़फूंक का अपना धंधा करता रहता है । आश्चर्य की बात यह है कि सेना क्षेत्र के रिहायसी इलाक़े के पुराने वासिंदे आज भी अपने मकान न तो कोई नयी ईंट लगा सकते हैं और न विस्तार कर सकते हैं , पर इन मज़ारों का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है और सजावट पर भी कोई रोक नहीं । बिजली भी कटियाँ जोड़कर सेना की ही जला रहे ।
ऐसे सुल्तानपुर मुख्य मार्ग पर रमज़ान बाज़ार पुलिस चौकी के पहले स्थिति एक छोटी सी मज़ार अब बड़ी मस्जिद का रूप ले चुकी है । आस पास कोई आबादी न होने के बावजूद एकांत में खड़ी इस मस्जिद में शुक्रवार को पता नहीं कहाँ कहाँ से लम्बी गाड़ियों वाले नमाज़ पढ़ने आ जाते है । उसके सामने सड़क की दूसरी तरह साल भर के अंदर एक और मज़ार जन्म ले चुकी है । मेरा तो मानना है यह सभी मज़ारें फ़र्ज़ी हैं , यह एक तरह से जासूसी के अड्डे निर्मित किए जा रहे हैं । और सैन्य अधिकारी आँखें मूँदे हुए हैं । यह तो कुछ स्थान मैने गिनाए जो मैने आँखों देखा है । पूरे कैंट क्षेत्र में संभावना है कि मज़ार के नाम पर ऐसे दर्जनों जासूसी केन्द्र निर्मित किए गये होगे ।
विदेशी जमातियों का सघन सदर बाज़ार में रूकना अपने आप में आँखें खोलने वाला है । सैन्य अधिकारी इन मस्जिद और मज़ारों की बढ़ती संख्या और इनके बढ़ते आकार पर अक्षम्य ध्यान दें , नहीं तो यह लापरवाही किसी दिन देश के लिए घातक होगी ….

कुछ उदाहरण मैं दे रही हूं बाकी आप बताइए.।।

जब आप kkc पार करके रघुनाथ चौक की तरफ बढ़िए तो सप्लाई डिपो के सामने अंदर झाड़ियों में ।

ऐसा ही मजार बापू भवन के सामने तथा सचिवालय के पीछे ..एक नंबर गेट के पास भी एक मस्जिद बनी हुई हाय जिस हिस्से में राजभवन बना है वहां पर दुकानों का बाजार बन गया है शासन को चिंता करनी चाहिए

मुख्यमंत्री आवास के ठीक सामने सड़क फिर ग्राउण्ड है फिर सड़क, उसके बाद एक भव्य मजार जो अभी जल्दी में ही विस्तार रूप ली है।उसी से सटा हुआ पिंडी नुमा एक हिन्दू धर्म स्थल जो अब सिकुड़ रहा है,उपेक्षित है, मजार फल फूल रही।
बापू भवन के ठीक सामने मेट्रो निर्माण के समय उसे हटाया जा सकता था किंतु नहीं,और भी भव्यता से उभरी एक मजार,,सुल्तान पुर जाते समय गङ्गा गंज में बायीं तरफ सड़क पर मस्जिद उसके बाद 100 मीटर पर मन्दिर।मन्दिर का आधा हिस्सा तोड़कर सड़क बन गयी मस्जिद को छुआ तक नहीं गया सड़क अधूरी छोड़ दी गयी।मन व्यथित होता है अपनी ही हिंदूवादी सरकार के रहते ये उपेक्षाएं देखकर।

बरेली सेना के यूबी एरिया का मुख्यालय है। देा लेफ्टिनेंट जनरल बैठते हैं। यहां भी छावनी क्षेत्र में चार-पांच मजारें हैं। सेना को इन्हें ढहा कर इनसे जुडे लोगों के आवागमन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

और ना जाने ऐसी ही कितनी जो रातो रात बनाते हैं और उसके बाद वहां पर एक विशालकाय धर्मस्थल खड़ा हो जाता है

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