●लाकडाउन की चपेट में आकर कापी- रजिस्टर का व्यवसाय खत्म● कोविड महामारी में जहां सभी व्यवसाय की गणित बिगाड़ रखी है.जहाँ कुछ व्यवसाय संभल रहे थे तो कुछ पनप रहे थे पर लॉक डाउन की दूसरी लहर ने व्यवसायो को खत्म करके रख दिया पर कुछ ऐसे हैं जो लॉक डाउन के बाद भी पनप ना सके और जब उम्मीद आई तो कोविड़ ने दोबारा उनको नष्ट कर के रख रख दिया है. ऐसा ही व्यवसाय बुक डिपो कॉपी रजिस्टर का है पिछली 22 मार्च को बंद हुए स्कूल पिछले 1 साल से बंद पड़े हुए थे.इस वर्ष मार्च माह में स्कूल खुलने लगे .तो इस व्यापार के व्यवसायियों के चेहरे पर रौनक लौटने की उम्मीद जगी पर 10 अप्रैल आते-आते एक बार व्यवसाय अधर में फस गया. काफी रजिस्टर का व्यापार करने वाले व्यापारियों से बात करने में पता चला कि पिछले 1 वर्ष से व्यवसाय पूर्णतया खत्म पड़ा हुआ है. स्थितियां बेहद नाजुक मोड़ में है. इस मार्च से जब स्कूल खोलने के आदेश हुए तो कुछ उम्मीदें बनी पर अप्रैल शुरू होते ही कोविड की वजह से फिर सब कुछ खत्म हो गया .आगे जिस तरह के हालात चल रहे हैं उस पर अब बुक डिपो कॉपी रजिस्टर के व्यवसाय में कुछ भी होने वाला नहीं है. नगर के प्रेम बुक डिपो के मालिक प्रेम नारायण से इस विषय में जब बात की गई तो निराश मन से बोले यही हालात रहे तो व्यवसाय बदलना पड़ेगा. कब तक घर में बैठकर खाएंगे. क्योंकि धंधा बिल्कुल चौपट है. जिनका उधार पड़ा है वह भी कब तक सब्र करेंगे. प्रेम के अनुसार इस व्यवसाय में अगले 1 साल अब कुछ नहीं होने वाला. बात प्रेम बुक डिपो की ही नहीं नगर स्थित वैष्णवी पुस्तक भंडार कुमार बुक डिपो कुष्मांडा पुस्तक भंडार अथवा स्टूडेंट बुक डिपो हो सब की हालत खस्ता हुई है वैष्णवी पुस्तक भंडार के मालिक विनीत साहू से बात की गई तो वह भी निराश नजर आए. बताया कि पिछले 3 महीने में ही स्थिति बद से बदतर हो चुकी थी. उसके बाद जुलाई- अगस्त में स्कूल खुलते ना देख उन्होंने दुकान पर परचून का सामान रख लिया. धीरे-धीरे परचून से कुछ घर परिवार का खर्च चलने लगा. आगे क्या होगा नहीं मालूम. कोविड़ का प्रभाव सबसे ज्यादा इसी व्यवसाय में पड़ा है. बात केवल नगर के पुस्तक भंडारों की नहीं है. पूरे तहसील क्षेत्र के बुक डिपो का यही हाल है। कानपुर घाटमपुर से संवाददाता विपिन कुमार की रिपोर्ट