जब ये संसद बनाई गई तो इसका गुंबद बहुत ही ऊंचा बनाया गया था. उस समय छत बहुत ही ऊंची होने के कारण सीलिंग फैन लगाना बहुत मुश्किल हो रहा था. लंबे डंडे के जरिए पंखे लगाने की बात हुई लेकिन ऐसा हो न सका. फिर सेंट्रल हॉल की छत की ऊंचाई को ध्यान में रखकर अलग से खंभे लगाए गए और उनपर उल्टे पंखे लगाए गए थे. ऐसा करने से संसद के कोने-कोने में हवा अच्छे से फैल जाती है. बाद में वहां एसी लगाने की बात हुई लेकिन भारतीय संसद के उल्टे पंखे को ऐतिहासिक तौर पर लगे रहने की घोषणा की गई.
संसद भवन की पहली मंजिल में 144 खंभे हैं. इनमें से प्रत्येक खंभे की ऊंचाई 25 फुट है. इसका डिजाइन विदेशी वास्तुकारों ने बनाया था. हालांकि इस भवन का निर्माण भारतीय मजदूरों ने स्वदेशी सामग्री से किया था.